सोचें - क्यों आजकल कुछ पत्थर से हो गए हम? सोचें - क्यों आजकल कुछ पत्थर से हो गए हम?
दुनिया में नहीं आने देंगे, कोख में ही, बेटी को मार देंगे! दुनिया में नहीं आने देंगे, कोख में ही, बेटी को मार देंगे!
मरने से मुश्किल है साहिब सकूं से जीना यहाँ। मरने से मुश्किल है साहिब सकूं से जीना यहाँ।
अछूत हम तब भी थे और आज भी हैं तुम्हारी उन्हीं दूषित नजरों में। अछूत हम तब भी थे और आज भी हैं तुम्हारी उन्हीं दूषित नजरों में।
तब भी अपने व्यवहार में नम्रता बनाए रखिए। तब भी अपने व्यवहार में नम्रता बनाए रखिए।
चाहे होना पड़े खुद को बलिदान भी इस बार, रुकूँगा मिटा कर भ्रष्टाचार। चाहे होना पड़े खुद को बलिदान भी इस बार, रुकूँगा मिटा कर भ्रष्टाचार।